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 संपूर्ण भारत को एक छत्र भारत बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सम्राट अशोक की जीवनी अपने आप में ही भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है जो एक अमित छाप छोड़ती है और बहुत ही अभूतपूर्व है तो आइए दोस्तों जानते हैं सम्राट अशोक की जीवनी

            सम्राट अशोक का जीवन परिचय



सम्राट अशोक का जन्म:

सम्राट अशोक का जन्म लगभग 304 ईसा पूर्व मौर्य वंश के एक सदस्य के रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम सम्राट बिंदुसार था और माता का नाम रानी धर्मा (जिनका नाम कहीं-कहीं सुभद्रागी भी उल्लेखित किया गया है)था। अशोक का जन्म मगध साम्राज्य के मौर्य वंश के राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना) में हुआ था। उनके बचपन का नाम चंदशोक था और वे अपने पिता के राज्य में बड़े हुए थे। सम्राट अशोक के जीवन का एक महत्वपूर्ण घटना यह थी कि उन्होंने अपने भाई सुसीम की हत्या के बाद उनके बदले में राज्य का प्रभुत्व संभाल लिया था।

सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन

चूंकि धर्मा(अशोक की मां) क्षत्रिय कुल से नहीं थी, इसलिए उसे राजकुल में कोई विशेष स्थान नहीं मिला था। लेकिन,सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन उनके परिवार के साथ बीता  सम्राट अशोक के कई सौतेले भाई-बहन थे और उनके बचपन में उनमें कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। अशोक के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन से ही सैन्य गतिविधियों में प्रवीण था।उनके पिता सम्राट बिंदुसार इस समय मगध साम्राज्य के शासक थे और उन्होंने अपने पुत्र को राजनीति के महत्वपूर्ण संगठनों में शामिल किया था। सम्राट अशोक ने शिक्षा का भी अच्छा अध्ययन किया था और वे मुख्य रूप से विदेशी भाषाओं में विशेषज्ञ थे।जब अशोक के भाई सुसीम की हत्या हो गई तो उन्हें राज्य का प्रभुत्व संभालना पड़ा। उन्होंने अपने शासनकाल में कई विजय प्राप्त की जिनमें कुंडलवनी, टैक्सिला और कलिंग शामिल थे। उन्होंने भारत के अधिकांश क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व जमाया था और उनके शासनकाल में भारत एक शक्तिशाली देश था।

अशोक का जीवन का टर्निंग प्वाइंट:

कलिंग युद्ध भारत के इतिहास की एक बहुत भयानक युद्ध था, जो मौर्य साम्राज्य के शासक अशोक चंद्रगुप्त और कलिंग राज्य के बीच हुआ था। यह युद्ध महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे अशोक का जीवन एक महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट बन गया था।

कलिंग युद्ध का विवरण निम्नलिखित है:

कलिंग राज्य ने मौर्य साम्राज्य से संघर्ष करने का फैसला किया था और इसलिए अशोक ने अपनी सेना को कलिंग राज्य के खिलाफ भेजा। इस युद्ध में बहुत से लोगों की मृत्यु हो गई थी और बहुत से लोगों को जख्मी कर दिया गया था। इस युद्ध में महिलाओं और बच्चों की भी हत्या की गई थी।

युद्ध के बाद, जब अशोक ने युद्ध की विस्तापित घटनाओं का अंदाजा लगाया, तो उन्हें बहुत दुख हुआ था। वे अपने जीवन का महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट समझते थे और इससे पहले जैसे काम करने के बजाय, उन्होंने धर्म के प्रचार और अन्य समाज सेवा योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।इस रूप में, कलिंग युद्ध अशोक के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जो उन्हें समझाने के लिए कि युद्ध और हिंसा की जगह धर्म और शांति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।अशोक का जीवन का टर्निंग प्वाइंट उनके धर्म परिवर्तन के समय को समझा जाता है। उन्होंने कपिलवस्तु में अपने गुरु आचार्य उपघोष की शिक्षा का पालन करते हुए बौद्ध धर्म को अपनाया था। यह उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना थी जो उनके बाद के जीवन को पूरी तरह से परिवर्तित कर देने वाली थी। इसके बाद, अशोक चंद्रगुप्त मौर्य का विस्तार करने के स्थान पर धर्म के प्रचार और युद्धों में हितों के लिए अपने समय व धन का खर्च करने के लिए प्रेरित हुए।

अशोक के कार्य:

अशोक के कार्यों का सम्पूर्ण वर्णन निम्नलिखित है:

  1. धर्म प्रचार: अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए बहुत समय व धन दिया। उन्होंने अपने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बौद्ध महासंघों के लिए विहार बनवाए और धर्म के प्रचार के लिए धम्मलिपि के रूप में कुछ शिलालेख लिखवाए।

  2. युद्धों में हितों की रक्षा: अशोक ने अपने राज्य को फैलाने के लिए कई युद्ध लड़े। उन्होंने अपनी सेना को मानवीय तरीके से लड़ने के लिए प्रेरित किया और युद्धों में घायल होने वाले लोगों की देखभाल की।

  3. सामाजिक न्याय: अशोक ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया। उन्होंने दान-पुण्य के लिए बहुत से धर्मिक स्थलों का निर्माण करवाया और गरीब लोगों की मदद की।

  4. वातावरण संरक्षण: अशोक ने वातावरण संरक्षण के लिए भी काफी कुछ किया। उन्होंने वनों की संरक्षण के लिए वन विभाग बनवाया और पशु-पक्षियों की संरक्षण के लिए कई उपाय अपनाए।

  5. संचार की सुविधा: अशोक ने संचार की सुविधा को बढ़ावा दिया। उन्होंने राज्य के भिन्न-भिन्न हिस्सों में सड़कों की निर्माण करवाया, जो लोगों के बीच संचार को आसान बनाती थी।

इन सभी कार्यों के अलावा, अशोक ने जनता के हित में और उनके कल्याण के लिए कई अन्य उपाय भी अपनाए, जैसे शिक्षा का प्रचार, विद्यालयों की स्थापना, सड़कों और पुलों का निर्माण, बांधों और जल संरचनाओं का निर्माण, और विभिन्न योजनाओं का शुरू करना।

इन सभी कार्यों के माध्यम से, अशोक ने अपने समय के लिए एक अद्भुत और आदरणीय राजा के रूप में जाना जाता है, जो अपने लोगों के कल्याण को सबसे ज़्यादा महत्व देता था।

अशोक का धर्म प्रचार:

अशोक चंद्रगुप्त मौर्य एक प्रख्यात शासक थे, जिन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनके एक महत्वपूर्ण कार्य में से एक है धर्म प्रचार जो बौद्ध धर्म के प्रचार के रूप में जाना जाता है। अशोक ने बहुत से उपाय अपनाए थे जिनसे वह बौद्ध धर्म का प्रचार कर सकें।

अशोक का धर्म प्रचार निम्नलिखित था:

  1. धम्मलिपि: अशोक ने धम्मलिपि नामक शिलालेख का निर्माण करवाया था। इस शिलालेख में बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को लिखा गया था और यह शिलालेख उनके राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थापित किया गया था।

  2. धर्म सम्मलेन: अशोक ने बौद्ध धर्म के लोगों के बीच धर्म सम्मलेन का आयोजन किया था, जिसमें वे अपने धर्म के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते थे।

  3. विहार निर्माण: अशोक ने बौद्ध महासंघों के लिए विहार निर्माण करवाए थे। इन विहारों में बौद्ध भिक्षु रहते थे और धर्म के प्रचार करते थे।

  4. सुधार यात्राएं: अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए सुधार यात्राएं की थी जो उनके राज्य के विभिन्न हिस्सों में की जाती थी। इन यात्राओं में बौद्ध भिक्षु धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाते थे।

  5. पत्र-लेखन: अशोक ने अपने समय के लोगों को पत्र लिखकर बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाया था। इन पत्रों में वे बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को व्याख्या करते थे और लोगों को धर्म के महत्व को समझाने की कोशिश करते थे।

इन सभी उपायों से अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार को सफल बनाया था। उनके धर्म प्रचार के उपायों ने बौद्ध धर्म को विश्वस्तर पर फैलाया और उनकी यात्राओं और सम्मलेनों में लोगों को धर्म के महत्व को समझाने में मदद मिली।

अशोक के साम्राज्य का विस्तार:

अशोक चंद्रगुप्त मौर्य एक शासक थे, जिन्होंने भारत में एक बड़े साम्राज्य का गठन किया था। अशोक चंद्रगुप्त के समय में मौर्य साम्राज्य भारत के बहुत बड़े हिस्से को शासित करता था। अशोक ने अपने शासनकाल में सम्राट का शीर्षक धारण किया था और उनके शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार हुआ था।

अशोक के समय में साम्राज्य का विस्तार निम्नलिखित था:

  1. उत्तर में सम्राट ने कबूल से लगभग वर्तमान अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्से को अपने शासनकाल में शामिल किया था।

  2. पूर्व में, सम्राट ने बंगाल के बड़े हिस्से को अपने शासनकाल में शामिल किया था।

  3. दक्षिण में, सम्राट ने वर्तमान तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों को अपने शासनकाल में शामिल किया था।

  4. पश्चिम में, सम्राट ने वर्तमान पाकिस्तान के कुछ हिस्सों और राजस्थान के कुछ हिस्सों को अपने शासनकाल में शामिल किया था।

इस तरह से, अशोक चंद्रगुप्त के समय में मौर्य साम्राज्य ने बहुत बड़े क्षेत्र को शासित किया था। अशोक ने अपने समय में शांति और समझौते के लिए भी प्रयास किए थे, जो इस सम्राज्य के विस्तार में मदद करने में सहायता करते थे।

अशोक की मृत्यु :

अशोक चंद्रगुप्त मौर्य 232 ईसा पूर्व में मर गए थे। उनकी मृत्यु के पीछे इतिहासकारों के अनुसार कई कारण थे। एक बात तो यह है कि अशोक ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म का अनुसरण किया था और उन्होंने धर्म के प्रचार के उपाय अपनाए थे।

इतिहासकारों के अनुसार, अशोक की मृत्यु के पीछे कुछ व्यक्तिगत और राजनीतिक कारण भी थे। उनके पुत्र महेन्द्र के साथ उनके द्वारा शासित किए गए कई प्रान्तों में विवाद हुआ था जो उनकी मृत्यु के पीछे का कारण बन सकता है।

और एक विस्तृत कहानी के अनुसार, अशोक अपने निजी जीवन में बहुत संतुष्ट नहीं थे और उनके द्वारा किए गए अनेक अत्याचार के कारण उन्हें अपने जीवन के अंतिम दिनों में दुख का सामना करना पड़ा।

कुछ इतिहासकार इस बात का मानते हैं कि अशोक ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बहुत समय और ऊर्जा लगाई थी, जो उनकी सेहत पर असर डाल सकती थी।

चाहे वह कारण जो भी हो, अशोक चंद्रगुप्त मौर्य भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण शासक थे जिन्होंने अपने शासनकाल में बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए थे।



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