वैद्यकीयसुभाषितसाहित्ये
(Vaidhya subhash sahityam)आयुर्वेद के BAMS 1st yr में संस्कृत विषय मे " वैद्यकीयसुभाषितसाहित्ये " book के 10 chapters syllabus मे दिये गये है।
जिससे sanskrit exam में 15 marks के questions 📝 आते है।
वैद्यकीयसुभाषितसाहित्ये book के रचिता आचार्य भास्कर गोविंद हैं।
इति श्रीभास्करशर्मणा गोविन्दात्मजेन संकलिते वैद्यकीयसुभाषितसाहित्ये वैद्यकशास्त्रविज्ञानीयो नाम
आज हम exam में आने वाले उन्ही 10 chapters k बारे मे जानेंगे ।
List of chapters (10)
अनुक्रमणिक
1. वैद्यकशास्त्र विज्ञानीय
2. वैद्यकसंहिता विज्ञानीय
3. वैद्यकसंहिताप्रणेतृविज्ञानीय
4. चिकित्सामाहात्म्य विज्ञानीय
5. रोगारोग्यविज्ञानीय
6.व्यायामविज्ञानीय
7. प्राणायामविज्ञानीय
8. स्नानविधिविज्ञानीय
9.अन्तर्बाह्यशौचविज्ञानीय
10.जलविज्ञानीय
Chapter -1
प्रथमोऽध्यायः वैद्यकशास्त्रविज्ञानीयमध्यायं
अथातो वैद्यकशास्त्रविज्ञानीयमध्यायं व्याख्यास्यामः इति ह स्माहुर्मनीषिणः प्राच्याः ।
(१) हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम् । मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते ।। (चरक)
आयुर्वेदव्याख्या -
हितकर, अहितकर, सुखकर, दु:खकर (करके) आयु (चार प्रकार की) होती है। उस आयु के लिए हितकर, अहितकर (सुखकर दुःखकर) क्या होता है ? आयुर्मान कितना होता है ? उसका विवरण जिसमें है वह आयुर्वेद कहलाता है।
(२) कायवाग्बुद्धिविषया ये मलाः समुपस्थिताः । - चिकित्सालक्षणाध्यात्मशास्त्रैस्तेषां विशुद्धयः ।। (वाक्यपदीय)
चिकित्साशास्त्र-
शरीर, भाषा और बुद्धि इनके विषय में जो दोष उत्पन्न हुआ करते हैं उनकी शुद्धि चिकित्साशास्त्र, व्याकरणशास्त्र और अध्यात्मशास्त्र से होती है ।
(३) सद्यः फलति गांधर्व, मासमेकं पुराणकम् । वेदाः फलन्ति कालेषु, ज्योतिर्वैद्यो निरन्तरम् ।।
वैद्यक की सार्वकालिक फलवत्ता-
गायन तत्काल, पुराण एक मास में, वेद दीर्घकाल में फलप्रद होते हैं, परन्तु ज्योतिष और वैद्यक सर्वकाल फलप्रद हुआ करते हैं ।
(४) अन्यानि शास्त्राणि विनोदमात्रं प्राप्तेषु वा तेषु न तैश्च किञ्चित् । चिकित्सितज्यौतिषमन्त्रवादाः पदे पदे प्रत्ययमावहन्ति ।।
(कल्पतरु)
वैद्यक की प्रतिपद प्रत्ययावहता-
इतरशास्त्र केवल मनोविनोद के लिए होते हैं, अतः उनके प्राप्त होने में या न होने में कोई विशेष अन्तर नहीं होता; परन्तु वैद्यकशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र तथा मन्त्रशास्त्र ( प्राप्त होने पर वे अपने अस्तित्व का) पग-पग पर प्रत्यय दिया करते हैं।
(५) एक शास्त्र वैद्यमध्यात्मकं वा सौख्यं चैकं यत्सुखं वा तपं वा । वन्द्यश्चैको भूपतिर्वा यतिर्वा ह्येकं कर्म श्रेयसं वा यशो वा ।।
(हारीतसंहिता)
वैद्यक की एकमेवाद्वितीयता-
शास्त्र केवल एक है, वैद्यक अथवा वेदान्त; सौख्य केवल एक है, स्वास्थ्य अथवा तप; वन्द्य केवल एक है, राजा अथवा यति और कर्म केवल एक है, श्रेय (स्कर कर्म) अथवा यश (स्कर कर्म) ।
(६) यस्मिन् ज्ञाते सर्वमिदं ज्ञातं भवति निश्चितम् । तस्मिन् परिश्रमः कार्यः, किमन्यच्छास्त्रभाषितम् ।।
(शिवसंहिता)
जिसके जानने से यह सब ज्ञान निश्चित रूप से प्राप्त होता है उस शास्त्र को जानने का प्रयत्न करें, अन्य शास्त्रों से क्या करना है ?
इति श्रीभास्करशर्मणा गोविन्दात्मजेन संकलिते वैद्यकीयसुभाषितसाहित्ये वैद्यकशास्त्रविज्ञानीयो नाम
प्रथमोऽध्यायः समाप्तः ॥१॥
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