कोष्ठ शारीर (Kosth sharir)
कोष्ठ शब्द की व्याख्या
1. कोष्ठ शब्द का अर्थ सन्दूक या पेटी (Box) होता है। जिसमें कोई वस्तु या पदार्थ सुरक्षित रखे जाते हैं। इस अर्थ को आधार मानकर ही शरीर के मध्य भाग (Trunk) को कोष्ठ कहा गया है और उसके कार्य या महत्व के अनुसार शरीर के इस मध्य भाग या कोष्ठ में कुछ महत्व के प्रत्यंग (Organs) जैसे- आमाशय, आन्त्र, यकृत, वृक्क आदि सुरक्षित रहते हैं।
2. शरीर के अवकाश (रिक्त) स्थानों को कोष्ठ (Body cavity) कहते हैं।
3. “अन्तराधिः शरीरमध्य भाग इति। " आचार्य सुश्रुत ने कोष्ठ का पर्याय अन्तराधि (शरीर मध्य) (Thoraco-abdominal cavity) इसी दृष्टि से रखा है।
कोष्ठांग परिभाषा
कोष्ठ में स्थित अवयवों को कोष्ठांग कहते हैं।
वक्षगुहा (Thoracic cavity), उदर गुहा (Abdominal cavity) औरश्रोणिगुह (Pelvic cavity) में स्थित रहने वाले अंगों को कोष्ठांग कहते हैं।
कोष्ठांगों की संख्या
आचार्य चरक के अनुसार ~ 15
आचार्य सुश्रुत के अनुसार ~ 8
कोष्ठांगों के नाम 👇
आचार्य चरक के अनुसार-
“पञ्चदश कोष्ठांगानि तद्यथानाभिश्च, हृदयं च क्लोम च, यकृत च, प्लीहा च, वृक्कौ च बस्ति च पुरोषाधारश्च आमाशयश्च पक्वाशयश्च, उत्तरगुदं च, अधरगुदं च क्षुद्रान्त्रं च स्थूलान्त्रं च, वपावहनं चेति।" (च.शा. ७ / १०)
1. नाभि (Umblical)
2. हृदय (Heart)
3. क्लोम (Pancreas)
4. यकृत (Liver)
5. प्लीहा (spleen)
6. वृक्कौ (Kidneys)
7. वस्ति. (urinary bladder)
8. पुरीषाधार (Caecum)
9. आमाशय (stomach)
10. पक्वाशय. (intestine)
11. उत्तरगुद. (rectum)
12. अधरगुद. (anus)
13. क्षुद्रान्त्र. (small intestine)
14. स्थूलान्त्र (Large intestine)
15. वपावहन. (omentum)
आचार्य सुश्रुत के अनुसार
स्थानान्यामाग्रि पक्वानां मूत्रस्य रुधिरस्य च । हृदुण्डुक: फुफ्फुसश्च कोष्ठ इत्यभिधीयते ।। (सु. चि. २/१२)
1. आमाशय (Stomach)
2.अग्न्याशय (Pancreas)
3. पक्वाशय (Intestine)
4. मूत्राशय (Urinary bladder)
5. रक्ताशय (Liver and spleen)
6. हृदय. (heart)
7. उण्डुक. (caecum)
8. फुफ्फुस (Lungs)
🇮🇳. BAMS STUDY. 🇮🇳
✅ Latest NEWS updates of B.A.M.S.
✅ NOTES + BOOKS + QUIZ + DISCUSSIONS
✅ FREE ONLINE SEMINARS
✅ Learn BASICS OF AYURVEDA with logical approach.
✅ रटना नही है , समझना है ।
join us on 👉 telegram 👈
Madhusoodan Shrivastava
0 टिप्पणियाँ